हमारे साथ आइयें, आपने कोई भ्रष्टाचार नहीं किया है। “मार्केट में एक ऐसी वॉशिंग मशीन आ गई हैं चाहें कितने ही जिद्दी दाग हो, चाय का,रेल घोटाला हो खेल घोटाला हो, निर्माण,सिंचाई,चिटफंड घोटाला हो किसी भी प्रकार का घोटाला हो मोदी वॉशिंग पाउडर के साथ बीजेपी वॉशिंग मशीन, जो दस साल पुराने दाग झुटाने में एक्सपर्ट है”। यह बात कांग्रेस ने तंज कसते हुए अपनी प्रेस बार्ता में कहा- जिस तरह से ईडी, सीबाआई और अन्य सरकारी एजेंसी कारर्वाई करती नजर आ रही है लगता है आने वाले कुछ समय में देश से भष्टाचार समाप्त हो जाएगा और देश भ्रष्टाचार मुक्त हो जाएगा हाल ही में इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपार्ट ने खुलासा किया कि 2014 में जब एनडीए की सरकार केंन्द्र में आई तब से 25 प्रमुख विपक्षी राजनेता भाजपा में शामिल हो गए जिसमें 10 कांग्रेस से , राकांपा और शिवसेना से चार-चार, टीएमसी से तीन , टीडीपी से दो और सपा वाईएसआरसीपी से एक-एक नेता है इन मामलों में से 20 मामलों में किसी भी प्रकार की कोई कारर्वाई नहीं की जा रही है। और तीन मामले बंद कर दिये गये है यह सरकारी एजेंसी की किस प्रकार की निष्क्रियता है समझ से बाहर है। इस सूची में शामिल 6 लोग आम चुनाव से कुछ हफ्ते पहले ही बीजेपी में शामिल हुये है। कुछ प्रमुख राजनेताओं की बात करे तो असम के सीएम हेमंत विस्वा शर्मा के यंहा साीबीआई 2014 में रेड करती है 2015 में वो बीजेपी ज्वाइन कर लेते है फिर किसी भी प्रकार की कारर्वाई नहीं होती है , महाराष्ट के डिप्टी सीएम अजीत पवार के खिलाफ मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने अक्टूबर 2020 में एक क्लोजर रिपोर्ट दायर की, जब वह पिछली एमवीए सरकार का हिस्सा थे, भाजपा के सत्ता में लौटने पर मामले को फिर से खोलने की मांग की, और इस साल मार्च में फाइल को फिर से बंद कर दिया। जब वह एनडीए में शामिल हो गए. फिर ऐसे मामले भी हैं जो खुले रहते हैं लेकिन केवल नाम के लिए, जिनमें कोई उल्लेखनीय प्रगति नहीं होती। उदाहरण के लिए, सीबीआई 2019 से नारद स्टिंग ऑपरेशन मामले में पश्चिम बंगाल के नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी (कथित अपराध के समय एक सांसद थे ) के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए लोकसभा अध्यक्ष से मंजूरी का इंतजार कर रही है। अधिकारी 2020 में टीएमसी से बीजेपी में चले गए। मई 2017 में सीबीआई ने एयर इंडिया-इंडियन एयरलाइंस विलय में एफआईआर दर्ज की, 2019में ईडी ने अपनी चार्जशीट में प्रफुल्ल पटेल का नाम लिया, जून 2023 में पटेल एनडीए में शामिल हुए मार्च 2024 में सीबीआई ने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की जो अदालत में लंबित है ऐसे ही कई लोगो के किस्से इस रिपोर्ट में है कांग्रेस द्वारा सरकार पर केन्द्रीय एजेंसी के दुरुपयोग का आरोप लगाया जाता है पर प्रश्न करने वाली बात है कि जो भाजपा भ्रष्टाचार मुक्त भारत का नारा देकर सत्ता में आई थी वह भ्रष्टाचार के कथित आरोप लगे लोगो को अपनी पार्टी में शामिल कर रही है। जिससे भाजपा की विश्वनीयता पर प्रश्नचिह्न खड़े होते है। अब आगे देखना दिलचस्प होगा कि सरकार क्या कदम उठाती है।
अब की बार 400 पार, कहां से आएगी अतिरिक्त सीटें
अब की बार 400 पार, कहां से आएगी अतिरिक्त सीटें अब की बार 400 पार कहकर बीजेपी पार्टी ने देश में एक नैरेटिव तैयार कर दिया है,क्या यह सिर्फ एक चुनावी जुमला है या बीजेपी इस बार सही में 400 पार का आंकड़ा पार करेगीं। 2019 के आम चुनाव में बीजेपी को 303 सीटें मिली थी और एनडीए गठबंधन को 353 सीटें मिली थी। इतिहास में यह आंकड़ा सिर्फ एकबार कांग्रेस ने 1984 में प्राप्त किया था। जिसका कारण इंदिरा गांधी की नृशंस हत्या थी जिस वजह से पूरे देश में सहानुभूति की लहर चल रही थी। अगर हम पिछली बार के चुनाव का विश्लेषण करे तो सर्जिकल स्ट्राइक से वैसी ही सहानुभूति की लहर चली थी जेैसी इंदिरा गांधी के समय थी। पर सोचने की बात है यह अतिरिक्त सीट कहा से मिलेंगी,अगर हम हिंदी पट्टी के राज्यों की बात करें और चुनावी गणित का हिसाब लगाए तो राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली और गुजरात में भाजपा ने 2019 में सभी की सभी सीटों पर चुनाव जीता था। इन राज्यों में सभी की सभी सीट जीत पाना एक चुनौती है। पिछले चुनाव में भाजपा ने उत्तरप्रदेश में 80 में से 62 सीट जीती थी। इस बार सीटों में और इजाफा हो सकता है साथ ही बीएसपी किसी गठबंधन में शामिल नहीं हुई है जिससे वोट बंट सकते है। उड़ीसा, झारखंड, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में सर्वे और रिपोर्टों के अनुसार इन राज्यों के समीकरणों पिछले साल की तरह ही रहने वाले है। अगर हम बात करें महाराष्ट्र और बिहार में मुकाबला टक्कर का होगा। महाराष्ट्र में 48 में से 41 सीट भाजपा और शिवसेना के गठबंधन को मिली थी। वहीं एनसीपी और कांग्रेस को 5 सीट मिली थी इस बार कुछ सीटों की कमी हो सकती है क्योंकि दलबदल की राजनीति से उद्धव, शरद पवार को कुछ सहानुभूति मिल सकती है। वही बिहार में नीतीश कुमार के बार-बार पाला पलटने और बिहार के मुद्दों को उठाने से लग रहा है कि तेजस्वी यादव को कुछ राजनीतिक बढ़त मिल सकती है। पंजाब में भाजपा और शिरोमणि अकाली दल का गठबंधन टूट गया है किसान आंदोलन और एमएसपी के कारण कोई अतिरिक्त सीट मिलने का आसार नहीं दिख रहा है। वहीं जम्मू की दो सीट छोड़ दे तो लद्दाख में लगातार आंदोलन जारी है वहां भी कोई उम्मीद नहीं की जा सकती है। दक्षिण की 130 सीटों की बात करें तो तमिलनाडु और केरल में पीएम की रैली का कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा है। वहीं आंध्रप्रदेश में वाईएसआरसीपी और टीडीपी जैसी पार्टियों का दबदबा है इस बार टीडीपी और बीजेपी का गठबंधन है। भाजपा यहां अपनी किस्मत आजमा रही हैं। कर्नाटक के लोकसभा चुनाव में 28 में से 26 सीट एनडीए ने जीती था। पर इस बार के विधानसभा चुनाव की बात करें तो कांग्रेस ने वहां अपना दबदबा बनाया है और बीजेपी को यहां टक्कर मिलने की संभावना है। नॉर्थ ईस्ट की बात करे तो यहां 25 में से 19 सीट बीजेपी और उसके गठबंधन को मिली थी। लेकिन मणिपुर हिंसा और आंतरिक अशांति के कारण यहां भी कोई अतिरिक्त सीट मिलने की आशंका नहीं है। अब देखना बाकी है कि यह एक चुनावी जुमाला है या बीजेपी 400 पार का नैरेटिव बनाने में सफल होती है। यह कोई असंभव आंकड़ा नहीं है अगर बीजेपी को क्षेत्रीय पार्टी का साथ मिलता है। तो यह आंकड़ा आसानी से पार किया जा सकता हैं। वहीं इंडिया गठबंधन का मुख्य कार्य भाजपा को 400 का आंकड़ा छूने से रोकना है
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